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Sufinama

अरे अलबेला

बेचैन

अरे अलबेला

बेचैन

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    आप ही मुल्ला पंडत बन के

    कैसा मचाया झमेला

    अरे अलबेला

    तन में मन में मोरे नयन में

    तू ही है एक अकेला

    अरे अलबेला

    अपने दरस को आप लगायो

    रंग-ब-रंग का मेला

    अरे अलबेला

    काहे रहे चिंता कोई मन में

    साँचे गुरु का हूँ चेला

    अरे अलबेला

    मोरे ही हृदय बीच ये सगरे

    लगा है तिलिस्म का मेला

    अरे अलबेला

    आप ही अपने प्रेम में फँस के

    क्या-क्या दुख नहीं झेला

    अरे अलबेला

    दुविधा गई 'बेचैन' तो देखा

    जो है गुरु वही है चेला

    अरे अलबेला

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