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नक़्श-पा-ए-नबी से मिला है ज़ुल्मतों के सफ़र में सहारा

आरज़ू महक

नक़्श-पा-ए-नबी से मिला है ज़ुल्मतों के सफ़र में सहारा

आरज़ू महक

MORE BYआरज़ू महक

    नक़्श-पा-ए-नबी से मिला है ज़ुल्मतों के सफ़र में सहारा

    ख़ाक-पा-ए-नबी की बदौलत मुर्दा-दिल जी उठे हैं दोबारा

    नबी किस के रौज़ा पे जाएँ किस को हम हाल दिल का सुनाईं

    बस तुम ही हामी-ए-बे-कसा हो और तुम ही बे-बसों का सहारा

    मेरा महबूब शहर मदीना मुझ को मर्ग़ूब ख़ाक-ए-मदीना

    मेरी नज़रों में नाचीज़ है सब शम्स क्या क्या क़मर क्या सितारा

    चाहिए मुझ को कौसर जन्नत मेरी मंज़िल है उन की ज़ियारत

    बस मुझे उन का जल्वा दिखा दे हो करम मुझ पे इतना ख़ुदा रा

    मरीज़-ए-ग़म-ए-दिल सँभल जा तिरी नुसरत को आएँगे मुर्सल

    चारागर भी सभी के वही हैं और वही ना-तवाँ का सहारा

    सब्ज़-गुम्बद पे नज़रें जो डालीं 'आरज़ू' मिल गया हम को सब कुछ

    दिल में अम्बार था जो 'इल्म का हो गया पल में वो पारा-पारा

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