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तलव्वुन तेरा रोज़ हम देखते हैं

अब्दुल्लाह बेदिल

तलव्वुन तेरा रोज़ हम देखते हैं

अब्दुल्लाह बेदिल

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    तलव्वुन तेरा रोज़ हम देखते हैं

    सितम देखते हैं करम देखते हैं

    मोहब्बत की नज़रों से दुश्मन को देखा

    देखा ये तुम ने कि हम देखते हैं

    मुरव्वत है पैदा किसी की नज़र में

    ये तेरा असर चश्म-ए-नम देखते हैं

    लाते कभी लब पे हर्फ़-ए-तमन्ना

    तुम्हारी निगाह-ए-करम देखते हैं

    तुम्हें देख कर शान-ए-हक़ हम ने देखी

    ये क्या और अहल-ए-हरम देखते हैं

    कहीं दिल हमारा उलझा हुआ हो

    तिरी ज़ुल्फ़ के पेच-ओ-ख़म देखते हैं

    वो देखा है जो कुछ दिखाया ख़ुदा ने

    अभी देखें क्या और हम देखते हैं

    तमन्ना बर आई है 'बेदिल' हमारी

    'अलम उन की तेग़-ए-दो-दम देखते हैं

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