Font by Mehr Nastaliq Web

'इश्क़ में तार-तार ना करना

अबुल हसन क़ुरबी

'इश्क़ में तार-तार ना करना

अबुल हसन क़ुरबी

MORE BYअबुल हसन क़ुरबी

    'इश्क़ में तार-तार ना करना

    'अक़्ल का कारोबार करना

    मज़हब दिलेराँ है 'आशिक़ का

    जवानी में 'आर ना करना

    चल सदा इख़्तियार-ए-दिलबर में

    अपना इख़्तियार ना करना

    रह तू गुमनाम-ए-'इश्क़ की रह में

    आप कूँ आशकार ना करना

    हिज्र दिलबर कूँ जब लज़ीज़ लगिया

    वस्ल का इंतिज़ार ना करना

    आरसी त्यों यो दिल कूँ करना साफ़

    तन के ऊपर सिंगार ना करना

    जिस महल में हिसाब-ए-वहदत हैं

    एक कूँ वाँ हज़ार ना करना

    जब वुजूद-ए-ख़ुदा का सब है ज़ुहूर

    ग़ैर का ए'तिबार ना करना

    देखना दोस्त का वज़ीफ़ा बस

    विर्द-ए-लैल-ओ-नहार ना करना

    जान-ए-हक़ीक़त का मेहर-ए-जल्वा क्या

    वाँ ख़ुदी का ग़ुबार ना करना

    'इश्क़ की रह में ना-सुबूर अछना

    शेवा-ए-इस्तिबार ना करना

    बारहा ख़ुद ही 'क़ुर्बी' उस पर सूँ

    जान-ओ-दिल को निसार ना करना

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए