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तेरी नज़रों में मोहब्बत का है तूफ़ाँ साक़ी

बह्ज़ाद लखनवी

तेरी नज़रों में मोहब्बत का है तूफ़ाँ साक़ी

बह्ज़ाद लखनवी

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    तेरी नज़रों में मोहब्बत का है तूफ़ाँ साक़ी

    तुझ पे सदक़े मेरी दुनिया मेरा ईमाँ साक़ी

    पै-ब-पै जाम जो करता है अता रिंदों को

    लुत्फ़ पे लुत्फ़ है एहसाँ पे है एहसाँ साक़ी

    तुझ को क्या देख क्या सुब्ह-ए-तजल्ली देखी

    दिल के 'आलम का है अल्लाह निगहबाँ साक़ी

    अब तो ये हाल है इक सादा वरक़ हो जैसे

    कोई हसरत है ख़्वाहिश है अरमाँ साक़ी

    जाम उठाता हूँ तो मय मिलती है लबरेज़ मुझे

    अपने 'आलम ने किया है मुझे हैराँ साक़ी

    और रिंदों को 'अता कर मय-ओ-सहबा-ओ-सुबू

    मुझ को काफ़ी है तेरा गोशा-ए-दामाँ साक़ी

    इस तरफ़ भी तो कभी हो तेरी काफ़िर नज़री

    आज 'बहज़ाद' को भी कर दे मुसलमाँ साक़ी

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