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पा के मदहोश-ए-तमन्ना मुझे देखा न करें

बहज़ाद लखनवी

पा के मदहोश-ए-तमन्ना मुझे देखा न करें

बहज़ाद लखनवी

MORE BYबहज़ाद लखनवी

    पा के मदहोश-ए-तमन्ना मुझे देखा करें

    मेरी नज़रें मेरे 'आलम का तमाशा करें

    हम ने उल्फ़त ही के मारों का ये देखा अंदाज़

    दिल झुकता हो तो का'बे को भी सज्दा करें

    मुझ को रहबर से कोई काम रहज़न से ग़रज़

    रह-रवी का मिरी ये लोग तमाशा करें

    हम को ग़म क्या मिला कौनैन की दौलत पाई

    अब कोई हम को ख़ुशी दे तो गवारा करें

    मेरी रग रग का ये 'आलम है कि जैसे दिल हो

    आप देखें पर इस अंदाज़ से देखा करें

    चश्म-ए-नाज़ुक से बहाते हैं वो क्यूँ अश्क-ए-अलम

    उन से कह दो कि हक़ीक़त को अफ़्साना करें

    राज़ की बात ज़माने को बता दो 'बहज़ाद'

    जो तमन्नाओं में गुम हैं वो तमन्ना करें

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