सरक रही है उस की चिलमन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
सरक रही है उस की चिलमन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
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सरक रही है उस की चिलमन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
शायद अब वो देगा दर्शन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
गरज रहा है बादल घन-घन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
बजती है उस की पायल झन-झन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
बरस रहा है प्यार का सावन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
डोल रहा है जिस से तन-मन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
चलता-फिरता है मय-ख़ाना जिस की ये चश्म-ए-मस्ताना
उस की सुराही-दार है गर्दन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
अपने ही हुस्न पे जैसे हो शैदा देख रहा है जल्वा-ए-ज़ेबा
सामने रख कर अपने दर्पन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
मोर का रक़्स उसे नहीं भाता अपनी चाल पे है इतराता
नाच न जाने टेढ़ा आँगन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
ग़ुंचा-ओ-गुल की है ये ज़बाँ पर सब ही फ़िदा उस सर्व-ए-रवाँ पर
ज़िक्र है उस का गुलशन-गुलशन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
'बर्क़ी' है जिस का दीवाना हो के फ़िदा मिस्ल-ए-परवाना
मार न डाले उस की चितवन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
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