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तसव्वुर तार-ए-ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन का

तुराब अली दकनी

तसव्वुर तार-ए-ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन का

तुराब अली दकनी

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    तसव्वुर तार-ए-ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन का

    हुआ शीराज़ा बंद अजज़ा-ए-तन का

    सरापा बुलबुल-ए-दिल नाला-ज़न है

    कि शायद बंद है गुल-पैरहन का

    लब-ए-रंगीन पर मोहर-ए-ख़मोशी

    दलील है तंगी-ए-ग़ुंचःदहन का

    हमेश: दामन-ए-गुल मिस्ल-ए-शबनम

    हुआ मस्कन मिरे तिफ़्ल-ए-नेन का

    जिसे यकसाँ हुआ है कुफ्र-ओ-इस्लाम

    नहीं उस पास झगड़ा मा-ओ-मन का

    करम कर मुझ ऊपर तूँ या-'हुसैनी'

    कि अदना गर्द हूँ तेरे चरन का

    बहमदिल्लाह कि आलम जानता है

    'तुराबी' नक़्श-ए-पा हूँ बुल-हसन का

    स्रोत :
    • पुस्तक : दीवान-ए-तुराब (पृष्ठ 90)
    • रचनाकार : शाह तुराब अली दकनी
    • प्रकाशन : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (पाकिस्तान) (1983)
    • संस्करण : First

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