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Sufinama

ख़ुदा को ख़ुद ब-ख़ुद जो ग़ालिब समझ नहीं सकता

ज़हीन शाह ताजी

ख़ुदा को ख़ुद ब-ख़ुद जो ग़ालिब समझ नहीं सकता

ज़हीन शाह ताजी

MORE BYज़हीन शाह ताजी

    ख़ुदा को ख़ुद ब-ख़ुद जो ग़ालिब समझ नहीं सकता

    वो इ’ल्म-ए-हक़ के मतालिब समझ नहीं सकता

    वो है सनम-कदा-ए-मुम्किनात में आज़र

    जो राज़ हस्ती-ए-वाजिब समझ नहीं सकता

    जो वहम-ए-ग़ैर में है अपने आप से महजूब

    है ख़ुद हिजाब कि हाजिब समझ नहीं सकता

    समझ रहा है जो अ'क़्ल-ए-शिकस्ता-पा को ख़िज़्र

    जुनूँ के जाह-ओ-मनासिब समझ नहीं सकता

    कलाम-ए-हक़ की सिफ़त है ‘ज़हीन’ मेरा कलाम

    हो ख़ुदा का जो तालिब समझ नहीं सकता

    ख़ुदा है फ़ह्म से बाला समझ नहीं सकता

    समझ रहा है जो समझा समझ नहीं सकता

    गुज़र 'ज़हीन' के दिल में नहीं हुआ जिस का

    ख़ुदा के दिल की तमन्ना समझ नहीं सकता

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