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गूजरी सूफ़ी काव्य

गूजरी ज़बान बर्र-ए-सग़ीर की क़दीम ज़बानों में से एक ज़बान है। सरकारी सरपरस्ती के ज़माने में शोअरा ने काफ़ी मिक़दार में गूजरी अदब तख़लीक़ किया अलबत्ता इस में शेअरी अदब ज़्यादा है और वो भी अक्सर सूफियाना कलाम है।

1388 -1506

शैख़ अ’ली मुत्तक़ी जौनपुरी के मुर्शिद-ए-गिरामी

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