कहानी -15-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
किसी बादशाह ने अपने वज़ीर को नौकरी से निकाल दिया तो वह फ़क़ीरों के साथ जाकर रहने लगा। उनकी संगति का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सन्तोष करना सीख लिया।
कुछ समय पश्चात् बादशाह को अपनी भूल का पता चला। उसने वज़ीर से पुराने पद पर लौट आने को कहा। वज़ीर इसके लिए राज़ी नहीं हुआ। उसने कहा, दुबारा नौकरी करने से तो अच्छा है कि मैं बिलकुल छुट्टी ले लूँ।
जिसने सन्तोष कर लिया और एक कोने में अलग जा बैठा, उसने कुत्तों के दाँत और मनुष्यों के मुँह बन्द कर दिए।
'जब काग़ज़ फाड़ डाला और क़लम तोड़ दिया तो हम नुक्ता-चीनी करने वालों के हाथ और ज़बान, दोनों से बच गए।'
बादशाह ने फिर कहला भेजा, हमें ऐसे अ’क़्लमन्द आदमी की सख़्त ज़रूरत है जो मुल्क के इन्तिज़ाम में हाथ बटा सके।
वज़ीर ने जवाब दिया, अस्ली अ’क़्लमन्द वही है जो इस तरह का काम करने को राज़ी ही न हो।
'तमाम परिन्दों में हुमा का दर्जा इसलिए ऊँचा है कि वह हड्डियाँ खाकर ही रह जाता है, दूसरे परिन्दों को सताती नहीं।'
सियाहगोश से लोगों ने पूछा, तुझे शेर के साथ रहना क्यों पसन्द है?”
उसने जवाब दिया, मुझे इससे दो फ़ायदे हैं। एक तो मुझे शेर का बचा हुआ शिकार खाने को मिल जाता है, दूसरे, उसके डर से कोई दुश्मन मुझ पर हमला नहीं करता। मैं हर तरह से सुरक्षित हूँ।
लोगों ने फिर पूछा, अब तो तू उसके आश्रय में आ गया है और तुझ पर उसके उपकार भी हैं तो उसके अधिक निकट क्यों नहीं रहता, इससे वह तुझे अपना अन्तरंग मित्र भी समझने लगेगा।
सियाहगोश ने उत्तर दिया, यह तो ठीक है; किन्तु मैं उसके हमले की तरफ़ से निश्चिन्त नहीं हूँ।
'आग का पुजारी सौ साल तक आग की पूजा करते रहने के बा’द भी, यदि आग में गिर पड़े, तो वह उसे जलाए बिना नहीं रहेगी।'
'बादशाह के पास रहने वाले के लिए दोनों बातें संभव है, उसे धन दौलत मिले या उसका सिर काट लिया जाए।'
'बादशाह के तिल-तिल बदलने वाले स्वभाव से डरना चाहिए। कभी तो वह सलाम से नाराज़ हो जाता है और कभी गालियाँ सुनने पर भी जान बख़्श देता है।'
विद्वानों ने यह भी कहा है कि, 'बादशाह के निकट रहने वाले हंसी-मज़ाक़ को अपना हुनर समझते हैं, परन्तु दूर दर्शी विद्वान इसे अवगुण ही समझते हैं। न जाने उसका क्या परिणाम हो?'
ऐ अ’क़्लमन्द! तू तो अपने मर्तबे के मुताबिक़ क़ायदे से रह। बादशाह के साथ हंसी-मज़ाक करने का काम तू उसके पास बैठने वालों के लिए छोड़ दे।
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.