सादी शीराज़ी की सूफ़ी कहानियाँ
कहानी -4-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’रब के चोरों के एक गिरोह ने एक पहाड़ी पर अड्डा जमा लिया था। उनके डर से यात्रियों ने उधर का रास्ता ही छोड़ दिया। शहर के लोग उनके डर से काँपते थे। बादशाह के सिपाही भी उन्हें पकड़ने की हिम्मत न करते। कारण यह था कि पहाड़ी पर चोरों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित
कहानी-1-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बड़े आदमी ने किसी नेक बुज़ुर्ग से पूछा, उस ख़ुदा-परस्त के बारे में आपकी क्या राय है? दूसरे लोग तो उसकी बुराई करते हैं। बुज़ुर्ग ने कहा, उसके ऊपरी रहन-सहन में मुझे कोई बुराई नहीं मिली और अन्दर का हाल मैं जान नहीं सकता। जो फ़क़ीरों के से कपड़े पहने
कहानी-2- फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक फ़क़ीर को देखा जो का’बा की चौखट पर माथा रगड़ रहा था। वह रो-रोकर कह रहा था, ऐ क़ुसूरों को मुआ’फ़ करने वाले! और ऐ रहम करने वाले! तू तो जानता है कि मैं कितना ज़ालिम और गुमराह हूँ। मुझसे क्या भलाई हो सकती है? मैं मुआ’फ़ी चाहता हूँ कि मैं तेरी ख़िदमत
कहानी -1-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक बादशाह के बारे में सुना है कि उसने एक क़ैदी को मृत्यु-दंड दे दिया। जब क़ैदी जीवन से निराश हो गया, तो वह क्रोध में आकर बादशाह को गालियाँ देने लगा। कहावत मशहूर है कि जो आदमी जान से हाथ धो लेता है, वह कुछ भी कहने सुनने में नहीं डरता। जब दुश्मन
कहानी-6- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक आ’बिद किसी बादशाह के यहाँ मेहमान था। जब सब लोग खाने पर बैठे तो उसने सबसे कम खाया और जब सब लोग नमाज़ पढ़ने लगे तो उसने सबसे ज़ियादा देर तक नमाज़ पढ़ी जिस से लोग उसे बड़ा पहुँचा हुआ ख़ुदापरस्त समझें। ऐ बद्दू! मुझे डर है कि तू का’बे तक नहीं पहुँच सकेगा,
कहानी -22-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बादशाह को ऐसा भयानक रोग लग गया जिसका न बताना ही अच्छा है। यूनानी हकीमों ने एकमत होकर कहा कि इस रोग का कोई इ’लाज नहीं। केवल एक चीज़ से लाभ हो सकता है। वह है किसी ऐसे आदमी का जिगर जिसमें हकीमों की बताई हुई कुछ विशेषताए हों। बादशाह ने आज्ञा दी कि वैसा
कहानी -3-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक शहज़ादे के बारे में सुना कि वह छोटे क़द का तथा कुरूप था, जबकि उसके और भाई लम्बे-तगड़े और सुन्दर थे। एक दिन बादशाह ने अपने उस कुरूप बेटे की ओर नफ़रत से देखा। शहज़ादा बड़ा चतुर था। तत्कालीन समझ गया कि पिता के मन में कैसा भाव उठा है। उसने बादशाह
कहानी -41-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अस्कन्दर रूमी से लोगों ने पूछा कि पूरब और पश्चिम के मुल्कों को तूने कैसे जीता? जब कि तुझसे पहले के बादशाह इन्हें नहीं जीत सके। उन बादशाहों के पास तुझसे अधिक धन और सेनाएँ थी और वे बहुत लम्बें समय तक जीवित भी थे। उसने उत्तर दिया, उस ख़ुदा की मदद से,
कहानी-19- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
यूनान के राज्य में चोरों ने सौदागरों के एक क़ाफ़िले को लूट लिया और बहुत-सा धन लेकर भाग गए। सौदागर बहुत रोए-पीटे। उन्होंने ख़ुदा और रसूल की दुहाई दी परन्तु उससे कोई फ़ाइदा न हुआ। 'जब काले दिल वाला दुष्ट अपने कार्य में सफल हो गया तो उसे क़ाफ़िले वालों
कहानी-5- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ फ़क़ीर साथ-साथ सफ़र कर रहे थे। आराम-तकलीफ़ जो भी मिले, आपस में बांट लेते। मैंने चाहा कि मैं भी उनके साथ हो लूँ किन्तु वे इसके लिए राज़ी न हुए। मैंने कहा, यह भले आदमियों का दस्तूर नहीं है कि अपनी संगति से दूसरों को वंचित रखे। मैं ताक़त और ज़ात में
कहानी-4-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक चोर किसी फ़क़ीर के घर में घुसा और बहुत देर तक सामान ढूँढता रहा। जब कुछ नहीं मिला तो उसे बड़ा दुख हुआ। फ़क़ीर को जब यह मा’लूम हुआ तो उसने अपना कम्बल, जिसमें वह लिपटा हुआ पड़ा था, निकालकर चोर के सामने फेंक दिया, ताकि वह ख़ाली हाथ न जाए। मैंने सुना
कहानी -38-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ बुद्धिमान लोग नौशेरवाँ के दरबार में किसी समस्या पर विचार कर रहे थे। उन सब में श्रेष्ठ था बज़रचमहर, जो बिलकुल चुप बैठा था। लोगों ने उससे कहा, आप इस बात-चीत में हिस्सा क्यों नहीं लेते? वह बोला, वज़ीरों और हकीमों का काम एक जैसा है। हकीम उसी समय
कहानी -15-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
किसी बादशाह ने अपने वज़ीर को नौकरी से निकाल दिया तो वह फ़क़ीरों के साथ जाकर रहने लगा। उनकी संगति का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सन्तोष करना सीख लिया। कुछ समय पश्चात् बादशाह को अपनी भूल का पता चला। उसने वज़ीर से पुराने पद पर लौट आने को कहा। वज़ीर इसके
कहानी -2-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ख़ुरासान के एक बादशाह ने स्वप्न में देखा कि सुल्तान म महमूद सुबुक्तगीन का सारा शरीर गल-सड़ चुका है, किन्तु उसकी आँख अपने गोलकों में घूम रही है और चारों तरफ़ देख रही है। बादशाह ने आ'लिमों से पूछा, 'इस स्वप्न का क्या अर्थ है?' जब कोई भी आ'लिम इस स्वप्न
कहानी -10-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैं दमिश्क की जामा’ मस्जिद में हज़रत याहया की क़ब्र पर इ’बादत के लिए बैठा था। मेरे सामने यहाँ अ’रब का एक बादशाह आया जो एक अत्याचारी शासक के रूप में जाना जाता था। उसने क़ब्र पर नमाज़ पढ़कर मन्नत माँगी। 'फ़क़ीर और मालदार सभी इस दर की ख़ाक के ग़ुलाम हैं।
कहानी -6-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ'जम के एक बादशाह के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि वह बड़ा ज़ालिम था। वह प्रजा का माल ख़ूब लूटता-खसोटता था और लोगों के साथ बड़ा अन्याय करता था। परिणाम यह हुआ कि लोग उसका राज्य छोड़-छोड़कर भागने लगे। जब राज्य की जनसंख्या बहुत कम रह गई और राज-कोप की आय
कहानी -5-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक सिपाही को उग़लमश(एक राजा) के दरवाज़े पर पहरा लगाते देखा। वह नौजवान बड़ा अ’क़्लमन्द था। हर काम बड़ी होशियारी से करता। बचपन से ही हर बात से उसकी समझदारी प्रकट हाती थी। उसके चेहरे को देखकर ही यह कहा जा सकता था कि एक दिन वह महान व्यक्ति बनेगा। बादशाह
कहानी -9-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’जम का एक बादशाह बुढापे में बीमार पड़ा और उसके जीने की कोई आशा न बची। वह मृत्यु-शय्या पर पड़ा हुआ था। उसी समय एक घुड़सवार ने आकर सूचना दी कि उसकी सेना ने एक क़िले’ को जीत लिया और वहाँ के शत्रुओं को क़ैद कर लिया है। उसने यह भी बताया कि शत्रु पक्ष की
कहानी -7-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कोई एक बादशाह अ’जम के एक ग़ुलाम के साथ नाव में सवार हुआ। उस ग़ुलाम ने इससे पहले कभी नदी में सफ़र नहीं किया था। नाव जब चलने लगी तो वह भयभीत हो गया। वह रोने-चिल्लाने लगा और डर के मारे काँपने लगा।बादशाह के मनोविनोद में जब विघ्न पड़ा तो उसे क्रोध आ गया।
कहानी -12-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक ज़ालिम बादशाह ने किसी बुज़ुर्ग से पूछा, सबसे अच्छी इ’बादत कौन-सी होती है? उसने जवाब दिया, तेरे लिए सबसे अच्छी इ’बादत दिन में सोना है, क्योंकि कम-से-कम उतनी देर लोग तेरे अत्याचार से बचे रहेंगे। मैंने एक ज़ालिम को दोपहर में सोते हुए देखा, तो कहा,
कहानी -17-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
हर व्यक्ति को अपनी अ’क़्ल बड़ी मा’लूम होती है और अपना बच्चा ख़ूबसूरत। अगर सारी दुनिया से अ’क़्ल उठ जाए तो भी अपने बारे में कोई यह नहीं सोचेगा कि मैं बे-अ’क़्ल हूँ।
कहानी -13-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक बादशाह के बारे में सुना है कि वह एक रात भोग-विलास में डूबा हुआ कह रहा था, 'मेरे लिए संसार में इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा? न मुझे किसी की अच्छाई-बुराई से मतलब है और न कोई चिन्ता है।' उसी समय जाड़े में ठिठुरते हुए एक नंगे फ़क़ीर ने कहा,
कहानी -11-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक अल्लाह को पहुँचे हुए फ़क़ीर शहर-ए-बग़दाद में आए। यहाँ के एक ज़ालिम और अमीर व्यक्ति हज्जाज बिन यूसुफ़ को उनके आने की सूचना मिली तो उसने उन्हें बुलाया और उनसे कहा, आप मेरे लिए ख़ुदा से दुआ’ कीजिए। फ़क़ीर साहब ने दुआ’ की, या अल्लाह! इसे मौत दे। हज्जाज
कहानी -23-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
नादान के लिए चुप रहने से बढ़कर और कोई चीज़ नहीं है, लेकिन कोई यह बात समझ ले तो वह ना-दान ही न रहे। जिस तरह अन्दर गिरी न होने से अख़रोट हल्का हो जाता है, उसी तरह हुनर न होने से इन्सान की बातचीत उसे बे-क़द्र कर देती है। एक मुर्ख एक गधे को बड़ी मेहनत
कहानी -57-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ऊँट बड़ा सहनशील जानवर माना जाता है। कोई बच्चा भी चाहे तो उसकी नकेल पकड़कर उसे सौ मील तक ले जाए, और वह उसके हुक्म से गर्दन मोड़ेगा, लेकिन अगर सामने कोई ख़तरनाक घाटी आ जाए और बच्चा अपनी ना-दानी से आगे बढना चाहे तो ऊँट उस वक़्त उसकी ताबे’दारी नहीं करेगा
कहानी -8-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
हुर्मुज़ से लोगों ने पूछा, तूने अपने वालिद के वज़ीरों में क्या ख़ता देखी जो उन्हें क़ैद करवा दिया? उसने उत्तर दिया, उनकी ख़ता तो मैंने कोई नहीं देखी, मगर यह ज़रूर देखा कि वे मुझसे डरते बहुत थे और मेरी बात पर विश्वास नहीं करते थे। मुझे यह डर हुआ कि
कहानी -24-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ज़ोज़न के बादशाह का एक वज़ीर था जो कुलीन और अच्छे स्वभाव का था। वह लोगों को उचित सम्मान देता था और पीठ पीछे किसी की बुराई नहीं करता था। एक बार बादशाह किसी बात पर उससे नाराज़ हो गया। उसने वज़ीर पर जुर्माना कर दिया और उसे जेल भिजवा दिया। बादशाह के सिपाही
कहानी -32-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’क़्लमन्द बहुत देर में खाते हैं, इ’बादत करने वाले आधा पेट खाकर रहते हैं, परहेज़गार केवल उतना खाते हैं कि वे जीवित रह सकें, जवान खाते रहते हैं जब तक उनके आगे थाल हटा नहीं लिया जाता, बूढ़े उस वक़्त तक खाते हैं जब तक उन्हें पसीना नहीं आ जाता और फ़क़ीर इतना
कहानी -13-परवरिश- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक व्यक्ति आतिशबाज़ी का काम सीख रहा था। किसी अ’क़्लमन्द ने उससे कहा, तेरे लिए आतिशबाज़ी का खेल मुनासिब नहीं है क्योंकि तेरा झोंपड़ा घास-फूस का बना हुआ है। 'जब तक तू किसी बात के बारे में जान न ले कि वह ठीक है या नहीं तू उसे अपनी ज़बान से मत कह। जिस
कहानी -23-सन्तोष- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक मालदार के बारे में मैंने सुना है कि वह अपनी कंजूसी के लिए उतना ही प्रसिद्ध था जितना कि हातिम ताई दान देने के लिए। दुनिया-भर की दौलत उसने इकट्ठी कर रखी थी, फिर भी दिल इतना छोटा था कि वह रोटी के एक-एक टुकड़े के लिए जान देता था। शायद वह हज़रत अबू
कहानी -13-ख़ामोशी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बेसुरी आवाज़ वाला मुअज़्ज़िन इतने ज़ोर-ज़ोर से अजान देता था कि लोग उससे चिढ़ने लगे। मस्जिद का प्रबन्धक एक अमीर था जो बहुत न्यायप्रिय और भला था। वह नहीं चाहता था कि मुअज़्ज़िन को उसका दोष बताकर दुखी किया जाए। उसने मुअज़्ज़िन से कहा, ऐ जवाँ मर्द! इस मस्जिद
कहानी -18-परवरिश- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने देखा कि एक अमीर आदमी का लड़का अपने वालिद की क़ब्र के पास खड़ा हुआ एक फ़क़ीर के लड़के से बहस कर रहा था। वह कह रहा मेरे वालिद की क़ब्र पर जो गुंबद बना है वह पत्थर का है और जो ख़ुतबा लिखा हुआ है वह रंगीन है। क़ब्र के इर्द-गिर्द पत्थर का फ़र्श है,
कहानी -36-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ला’ल और जवाहर यदि कीचड़ में गिर पड़ें तो भी उतने ही क़ीमती रहते हैं लेकिन गर्द यदि आसमान पर चढ़ जाए तो उतनी ही ज़लील रहती है। कनआँ’’ में अपनी कोई लियाक़त नहीं थी। इसलिए बाप की पैग़म्बरी से उसके मर्तबे में कोई तरक़्क़ी नहीं हुई। यदि तुझमें कोई हुनर
कहानी -24-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो शख़्स बुरों के साथ उठता-बैठता है वह भलाई की बात सोच ही नहीं सकता। यदि फ़रिश्ता शैतान के साथ बैठेगा तो वह भी पागलपन, बे-ईमानी और मक्कारी की बातें करेगा। बुरे आदमियों से तू बुराई के सिवा और कुछ नहीं सीखेगा। भेड़िया खाल फाड़ना ही जानता है, खाल
कहानी -3-ख़ामोशी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक नौजवान बड़ा बुद्धिमान था। उसमें बहुत-से गुण थे लेकिन वह लोगों में अधिक उठना-बैठना पसन्द नहीं करता था।जब आ’लिमों की सभा में बैठता तो ख़ामोश रहता। एक दिन उसके पिता ने कहा, बेटा, तू भी कुछ बोला कर और अपने इ’ल्म से लोगों को लाभ पहुँचाया कर। वह बोला,
कहानी -60-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
झूठ बोलना एक ऐसी चोट की तरह है जिसका ज़ख़्म तो भर जाता है मगर दाग़ नहीं छूटता। क्या तुमने नहीं सुना कि हज़रत यूसुफ़ के भाइयों ने एक बार झूठ बोला था, इसके बा’द उनके सच पर भी किसी ने यकीन नहीं किया। जिसकी आ’दत सच बोलने की है अगर उससे कोई ग़लती भी
कहानी -16-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मेरा एक दोस्त मुझसे शिकायत करने लगा कि, ज़माना बड़ा ख़राब है। मेरी आमदनी थोड़ी है और बाल-बच्चे ज़ियादा। कहाँ तक सहा जाए? भूखों मरा नहीं जाता। कई बार मन में आता है कि परदेस चला जाऊँ। सुख-दुख में जैसे भी हो वहाँ गुज़र कर लूँ। किसी को मेरे अच्छे या बुरे
कहानी -67-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ख़ुश-क़िस्मत लोग दूसरों के क़िस्सों और मिसालों से नसीहत हासिल करते हैं। वे ऐसा मौक़ा’ नहीं आने देते कि उनकी ग़लतियों में बा’द में आने वाले लोग नसीहत लें और उनकी ग़लतियों की दास्तान एक-दूसरे को सुनाएँ। लेकिन चोर उस वक़्त तक हाथ नहीं सिकोड़ते जब तक
कहानी-38- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक मुरीद ने अपने पीर से कहा, लोग मुझे बहुत परेशान करते हैं। हर समय उनके आने जाने से मेरा सोना बहुत ख़राब होता है।” पीर बोला ऐसा कर, जो ग़रीब हैं उन्हें कुछ पैसा उधार देदे और जो अमीर हैं उनसे कुछ माँगना शुरू’ कर दे। फिर तेरे पास कोई भी चक्कर नहीं काटेगा।”
कहानी -14-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो किसी घमंडी को नसीहत देता है वह ख़ुद नसीहत का मोहताज है। दुश्मन के धोखे में न आ और अपनी ता’रीफ़ सुनकर घमंड मत कर क्योंकि उसने तेरे लिए मक्कारी का जाल बिछाया है और अपने लालच का दामन फैला रखा है।
कहानी -17-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ सूफ़ी लोग मेरे पास ठहरे हुए थे। देखने में वे लोग बड़े भले मा’लूम होते थे और कई लोग उनसे प्रभावित भी हुए। एक अमीर इन लोगों के बाहरी व्यवहार और आचार-विचार से बहुत ख़ुश हुआ। उसने इनके लिए कुछ वज़ीफ़ा निश्चित कर दिया। कुछ ही समय पश्चात् इनमें से
कहानी-21- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
हकीम लुक़मान से लोगों ने पूछा कि तूने अदब किससे सीखा? वे वाले, बे-अदबों से। लोगों ने पूछा, वह कैसे? उन्होंने उत्तर दिया, बे-अदबों की, जो बातें मुझे ना-पसन्द लगीं, मैं छोड़ता गया। होशियार लोग दूसरों के हंसी-मज़ाक़ से भी कुछ-न-कुछ दर्स लिया करते हैं।
कहानी -1-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
धन ज़िन्दगी के आराम के लिए होता है। ज़िन्दगी धन जमा करने के लिए नहीं। एक अ’क़्लमन्द से लोगों ने पूछा, ख़ुश-क़िस्मत कौन है और बद-क़िस्मत कौन?” उसने जवाब दिया, ख़ुश-क़िस्मत वह है जिसने खाया और ख़ैरात दी। बद-क़िस्मत वह है जिसने जमा किया और छोड़कर मर
कहानी -7-ख़ामोशी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक अ’क़्लमन्द को यह कहते हुए सुना कि संसार में कोई आदमी अपनी बेवक़ूफ़ी का प्रचार करता हुआ नहीं मिलता मगर वो जो किसी की बात के बीच में ही बोल देता है और उसकी बात ख़त्म होने से पहले ही अपनी बात शुरू’ कर देता है। 'ऐ अ’क़्लमन्द! हर बात का ओर भी होता
कहानी -54-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
दो बातें अ’क़्लमन्दों की राय के ख़िलाफ़ हैं। एक तो महज़ वहम होने पर दवा का इस्ते’माल करना और दूसरे अनदेखे रास्ते पर क़ाफ़िले के साथ न चलना। इमाम मुर्शिद मुहम्मद ग़ज़ाली से लोगों ने पूछा, आपने इतना ज़ियादा इ’ल्म कैसे हासिल किया? उन्होंने फ़रमाया,
कहानी -3-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
इ'ल्म,दीन की बारीकियों को समझने के लिए होना चाहिए, पैसा कमाने के लिए नहीं। जिसने पैसे की ख़ातिर अपना दीन, ईमान, इ’ल्म और परहेज़-गारी को बेच दिया, उसकी मिसाल ऐसे किसान से दी जा सकती है जिसने साल-भर मेहनत करके अनाज उगाया, खलिहान जम्अ’ किया, फिर उसमें आग
कहानी-24- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैं एक बुज़ुर्ग के पास यह शिकायत लेकर गया कि अमुक व्यक्ति ने मेरे ख़िलाफ़ गवाही दी है और मेरी निन्दा की है। उन्होंने कहा, तू उसके साथ भलाई कर ताकि वह शर्मिन्दा हो जाए। और अपना चाल-चलन ठीक रख, ताकि दुशमन को तेरी बुराई करने की हिम्मत ही न हो। जब सारंगी
कहानी -81-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
किसी अक़्लमन्द से लोगों ने पूछा, जिन पेड़ों को ख़ुदा ने ऊँचा और फल देने वाला बनाया है, उनमें से किसी को 'आज़ाद' नहीं कहा जाता, सिवा सर्व के पेड़ के, जिसमें कोई फल नहीं आता। कहिए, इसकी वजह क्या है? उसने कहा, हर पेड़ की बहार का एक वक़्त मुक़र्रर है।
कहानी -34-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो अ’क़्लमन्द जाहिलों से झगड़ा करे, उसे चाहिए कि अपनी इ’ज़्ज़त बचाए रखने का ख़याल छोड़ दे। यह देखा जाता है कि जाहिल गाली-गलौज से अ’क़्लमन्द को दबा लेता है। यह कोई तअ’ज्जुब की बात भी नहीं क्योंकि जाहिल तो पत्थर है जो मोती को तोड़ डालता है। यदि बुलबुल
कहानी -8-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो कमज़ोर दुश्मन तेरे क़ब्ज़े में ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाता है और तेरा दोस्त बनना चाहता है उसका मतलब सिवा इसके और कुछ नहीं होता कि यह ताक़त पाकर ज़ियादा दुश्मनी करेगा। अ’क़्लमन्द लोगों ने कहा है कि जब दोस्त की दोस्ती पर भरोसा नहीं, तो दुश्मनों की चापलूसी से
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere