Sufinama

कहानी -21-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

कहानी -21-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

MORE BYसादी शीराज़ी

    एक सिपाही के बारे में कहा जाता है कि उसने किसी फ़क़ीर के सिर पर पत्थर दे मारा। उस बेचारे में बदला लेने की ताक़त तो थी नहीं: उसने उसी पत्थर को संभाल कर अपने पास रख लिया।

    एक दिन ऐसा हुआ कि बादशाह को उस सिपाही पर क्रोध गया और उसने उसे एक कुँए में क़ैद करवा दिया।

    उसी समय वह फ़क़ीर वहाँ पहुँचा और उसने सिपाही के सिर पर वही पत्थर दे मारा।

    सिपाही ने पूछा, तू कौन है? और तूने मुझे पत्थर क्यों मारा?

    फ़क़ीर ने उत्तर दिया, मैं वही फ़क़ीर हूँ और यह वही पत्थर है जो उस दिन तूने मुझे मारा था।।

    सिपाही बोला, तू अब तक कहाँ रहा?

    फ़क़ीर बोला, उस समय तेरी ताक़त से मैं डरता था। अब, जबकि यहाँ तुझे क़ैद में डाल दिया गया है तो मुझे भी बदला लेने का अवसर मिल गया।

    'जब तू किसी ज़ालिम को ताक़तवर देखे तो चुप रह। बुद्धिमानों ने कहा है कि ऐसे समय पर उसके सामने झुक जाना ही ठीक है।'

    'यदि तेरे पास फाड़ डालने वाले तेज़ नाख़ुन नहीं हैं, तो उचित यही है कि तू दुष्ट लोगों से लड़ाई मोल ले।'

    'जो किसी फ़ौलाद जैसे ताक़तवर व्यक्ति के पंजे से पंजा लड़ाता है वह अपने चाँदी के वरक़ जसे नाज़ुक हाथ तुड़वाता है।'

    'तू उस समय तक धैर्य से प्रतीक्षा कर जब तक उसका दुर्भाग्य उसे गिरा दे, फिर अपने साथियों की सहायता से उस दुष्ट का भेजा बाहर निकाल ले।'

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