कहानी -33-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
झगड़ालू और बद-मआ’श लोगों से प्रेम करना गुनाह है।
तेज़ दाँतो वाले भेड़िये पर रहम करना बकरियों पर ज़ुल्म करना है।
जो अपने सामने खड़े हुए दुश्मन को नहीं मारता वह स्वयं अपना दुश्मन है।
अगर पत्थर पर साँप बैठा हो और तेरे हाथ में भी पत्थर हो तो सोचना और देर करना बे-वक़ूफ़ी होगी।
कुछ लोग इस राय से इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते। वे कहते हैं कि क़ैदी को क़त्ल करने में देर करना बेहतर है। उसे मारा भी जा सकता है और छोड़ा भी जा सकता है। यदि उसे जल्द ही मार डाला गया और बा’द में वह बे-गुनाह साबित हुआ तो पछतावा होगा।
ज़िन्दा को मार डालना आसान है किन्तु मरे हुए को ज़िन्दा नहीं किया जा सकता।
तीर फेंकने वाले का सब्र करना अ’क़्ल का तक़ाज़ा है। जब तीर कमान से निकल जाता है तो फिर वापस नहीं आ सकता।
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