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कहानी -45-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

कहानी -45-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

MORE BYसादी शीराज़ी

    जिस आदमी की ज़िन्दगी में उसकी रोटी किसी ने नहीं खाई, उसके मरने के बा’द कोई उसका नाम भी नहीं लेता।

    अंगूर का स्वाद किसी बेवा से पूछो। मेवा बेचने वाले से क्या पूछना, जो रोज़ अंगूर बेचता है और खाता है।

    यूसुफ़ सिद्दीक़ साहब अकाल के दिनों में पेट भर खाना नहीं खाते थे, ताकि कह भूखों को भूल जाए।

    जो ऐ’श-ओ-आराम में जिया उसे क्या मा’लूम कि भूखे आदमी का दर्द क्या होता है? कमज़ोर और लाचार आदमी का हाल वही जान सकता है जो ख़ुद कभी कमज़ोर और लाचार रहा हो।

    दौड़ने वाले घोड़े पर सवार! ज़रा इस बात का भी ख़याल कर कि एक ग़रीब, कमज़ोर और लाचार लकड़हारे का गधा कीचड़ में फंस गया है।

    पड़ोस में रहने वाले फ़क़ीर के घर से आग माँग। उसके घर खाने को ही नहीं तो वह आग क्यों जलाएगा? उसके घर से जो धुआँ उठ रहा है वह उसकी आहों का धुआँ होगा।

    कमज़ोर फ़क़ीर से अकाल के समय यह पूछ कि तेरा क्या हाल है? अगर पूछता है तो उसके जख़्म पर मरहम लगाने और उसे कुछ देने को तय्यार रह।

    जब तू भारी बोझ से लदे हुए किसी गधे को कीचड़ में फंसा हुआ देखे तो दिल ही दिल में उस पर रहम खा ले, उसके पास मत जा। यदि उसके पास जाता है तो कमर कसकर उसकी मदद को तैयार हो जा और उसकी दुम पकड़कर उसे बाहर निकाल।

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