कहानी -54-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
दो बातें अ’क़्लमन्दों की राय के ख़िलाफ़ हैं। एक तो महज़ वहम होने पर दवा का इस्ते’माल करना और दूसरे अनदेखे रास्ते पर क़ाफ़िले के साथ न चलना।
इमाम मुर्शिद मुहम्मद ग़ज़ाली से लोगों ने पूछा, आपने इतना ज़ियादा इ’ल्म कैसे हासिल किया?
उन्होंने फ़रमाया, जो कुछ मेरी समझ में नहीं आया उसके बारे में पूछने से मैंने कभी शर्म नहीं की।
अ’क़्ल के मुताबिक़ आराम की उम्मीद तभी हो सकती है जब तू अपनी नब्ज़ किसी क़ाबिल आदमी को दिखाए, जो तेरे मिज़ाज को पहचान ले।
जो तुझे न आता हो वह दूसरों से पूछ ले क्योंकि पूछने की ज़िल्लत तुझे अ’क़्लमन्दी की इ’ज़्ज़त बख़्शेगी।
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