कहानी -57-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ऊँट बड़ा सहनशील जानवर माना जाता है। कोई बच्चा भी चाहे तो उसकी नकेल पकड़कर उसे सौ मील तक ले जाए, और वह उसके हुक्म से गर्दन मोड़ेगा, लेकिन अगर सामने कोई ख़तरनाक घाटी आ जाए और बच्चा अपनी ना-दानी से आगे बढना चाहे तो ऊँट उस वक़्त उसकी ताबे’दारी नहीं करेगा और नकेल को उसके हाथ से छुड़ा लेगा। जहाँ सख़्ती करनी चाहिए वहाँ नहीं करना बुरा है।
जो तेरे साथ मेहरबानी करे, तू उसके पैरों की ख़ाक बन जा, लेकिन यदि वह तेरा विरोध करे तो उसकी आँखों में धूल झोंक दे।
सख़्त मिज़ाज वाले से नर्मी और मेहरबानी से बात मत कर, क्योंकि ज़ंग खाया हुआ लोहा रेती से घिसने से ही साफ़ हो सकता है।
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