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Sufinama

कहानी-6- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

कहानी-6- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

MORE BYसादी शीराज़ी

    एक आ’बिद किसी बादशाह के यहाँ मेहमान था। जब सब लोग खाने पर बैठे तो उसने सबसे कम खाया और जब सब लोग नमाज़ पढ़ने लगे तो उसने सबसे ज़ियादा देर तक नमाज़ पढ़ी जिस से लोग उसे बड़ा पहुँचा हुआ ख़ुदापरस्त समझें।

    बद्दू! मुझे डर है कि तू का’बे तक नहीं पहुँच सकेगा, क्योंकि जिस रास्ते पर तू चल रहा है, वह तुर्किस्तान जाता है।

    जब आ’बिद अपने घर पहुँचा तो फ़ौरन उसने खाना माँगा। उसका पुत्र बड़ा समझदार था। उसने पूछा, अब्बा जान! आपने बादशाह के यहाँ खाना क्यों नहीं खाया?

    उसने जवाब दिया, मैंने उनके सामने इतना नहीं खाया कि मेरा काम चल जाता।

    पुत्र बोला, तो फिर नमाज़ भी दुहरा लीजिए। उससे भी आपका काम नहीं चल पाया होगा।

    इन्सान! तू अपने हुनर को तो हथैली पर लिए दिखाता फिरता है और अपनी बुराइयों को बग़ल में छिपाए हुए है। आख़िर घमंडी! तु क्या ख़रीदना चाहता है? ज़रूरत पड़ने पर खोटी चाँदी काम नहीं आती है

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