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Sufinama

होली

होली पर सूफ़ी संतों के प्रचलित कलाम सूफ़ीनामा में पढ़िए

1735 -1830

अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज्में लिखीं। होली, दीवाली, श्रीकृष्ण पर नज़्मों के लिए मशहूर

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और ख़ादिम-ए-ख़ास

1876 -1936

मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र और ''बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना' के लिए मशहूर

1660 -1729

ख़ानक़ाह बरकातिया, मारहरा के बानी और मा’रूफ़ सूफ़ी

1680 -1757

पंजाब के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र जिनके अशआ’र से आज भी एक ख़ास रंग पैदा होता है और रूह को तस्कीन मिलती है

1856 -1927

हिन्दुस्तान के मा’रूफ़ ख़ैराबादी शाइ’र और जाँ-निसार अख़तर के पिता

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और फ़ारसी के क़ादिरुल-कलाम शाइ’र

1843 -1909

बिहार के महान सूफ़ी कवि

1767 -1858

अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती

1875 -1951

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

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