होरी
हिन्दुस्तानी राग की एक किस्म जो ध्रुपद से निकली है। इशक़-ओ-मुहब्बत के गीत जो होली के ज़माने में गाए जाते हैं होरी कहलाते हैं।इस में रंग और पिचकारी के मज़ामीन बाँधे जाते हैं। होरी के लिए होरी ताल ही मख़सूस है ।
गुलाल साहिब के मुरीद और जां-नशीन जिनके कई ग्रंथ हैं जिनमें से एक राम जहाज़ है जो एक ज़ख़ीम किताब है