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Sufinama

तस्वीर-ए-तसव्वुर में उन की जिस वक़्त जमाई जाती है

अमीर बख़्श साबरी

तस्वीर-ए-तसव्वुर में उन की जिस वक़्त जमाई जाती है

अमीर बख़्श साबरी

MORE BYअमीर बख़्श साबरी

    तस्वीर-ए-तसव्वुर में उन की जिस वक़्त जमाई जाती है

    उस पर्दा-नशीं को देखने की फिर ताब लाई जाती है

    साक़ी-ए-मस्ताँ ख़ूब पिला जितनी भी पिलाई जाती है

    का'बे से उठी पुर-कैफ़ घटा मय-ख़ाने पे छाई जाती है

    मुज़्दा है तुम्हें बादा-कशो भर-भर के पियो और ख़ूब पियो

    जिब्रईल-ए-अमीं के हाथों से कौसर से मँगाई जाती है

    मय-ख़ाना-ए-फ़ित्रत के मय-कश किस शान से निकले हैं तो ये

    जिस सम्त से गुज़रे जाते हैं एक 'ईद मनाई जाती है

    उस 'इश्क़ के कूचा में मिट कर बतलाया ये मिटने वालों ने

    दीवानों की मिस्ल-ए-परवाने मय्यत ही उठाई जाती है

    ’उश्शाक़ों में हर सू धूम मची आता है सर-ए-महफ़िल कोई

    दीदार की दौलत चल लूटो आज 'आम लुटाई जाती है

    दा'वा है 'अमीर'-ए-साबरी का सदक़ा है पीरान-ए-कलियर का

    बिगड़ी हुई क़िस्मत 'साबिर' के कूचे में बनाई जाती है

    स्रोत :
    • पुस्तक : Kalaam-e-Ameer Sabri (पृष्ठ 63)

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