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मिले मुझ को मेरा बांका सँवरिया आरज़ू दारम

ग़ुलाम अहमद आज़ाद

मिले मुझ को मेरा बांका सँवरिया आरज़ू दारम

ग़ुलाम अहमद आज़ाद

MORE BYग़ुलाम अहमद आज़ाद

    मिले मुझ को मेरा बांका सँवरिया आरज़ू दारम

    बिछाऊँ हर क़दम पर ये नज़रिया आरज़ू दारम

    हरम में जा के देखूँ बुत-कदा में भी उसे ढूँडूँ

    फिरूँ तालाश में शाम-ओ-सहरिया आरज़ू दारम

    रँगाओं गेरुए कपड़े बनूँ जोगन मैं उस कारन

    बजाऊँ नाम की उस के बँसुरिया आरज़ू दारम

    मोहब्बत ने किया बदनाम उस की कुछ नहीं परवाह

    पिया की हो मगर मुझ पर नज़रिया आरज़ू दारम

    पिया चाहे जिसे हो वो सुहागन ये मिसल सच है

    हो कब आबाद ये सूनी सहरिया आरज़ू दारम

    सता डाला सता डाला है बिल्कुल शाम-ए-फ़ुर्क़त ने

    इलाही वस्ल की कब हो सहरिया आरज़ू दारम

    मिले ऐसा कोई रहबर बताए रास्ता उस का

    हुई मुद्दत कि भूला हूँ डगरिया आरज़ू दारम

    मिला है कौन मुर्शिद के सिवा उस मिलने वाले से

    मुझे आक़ा दिखाएगा नगरिया आरज़ू दारम

    किया है ख़ंजर-ए-फ़ुर्क़त ने इस आज़ाद को घाइल

    लगा दे एक वसलत की कटरिया आरज़ू दारम दारम

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