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Sufinama

मोहब्बत रहनुमा अपनी मोहब्बत राहबर अपनी

ज़हीन शाह ताजी

मोहब्बत रहनुमा अपनी मोहब्बत राहबर अपनी

ज़हीन शाह ताजी

MORE BYज़हीन शाह ताजी

    मोहब्बत रहनुमा अपनी मोहब्बत राहबर अपनी

    उधर निकली तिरी मंज़िल जिधर उट्ठी नज़र अपनी

    दिल-ए-बेजज़्ब अपना है आह-ए-बे-असर अपनी

    इन आईनों में देखें वो अदाएँ जल्वा-गर अपनी

    कहाँ से लाएगी उम्र-ए-दो-रोज़ा अहद-ए-रफ़्ता को

    कहाँ यादश-ब-ख़ैर अब शाम अपनी वो सेहर अपनी

    मिज़ाज-ए-हुस्न-ए-ख़ुद-बीं को मोहब्बत की नज़र समझी

    समझते हैं मोहब्बत की नज़र को वो नज़र अपनी

    कहाँ है हुस्न को मस्ती में होश-ए-इल्तिफ़ात दिल

    वो क्या अपनी ख़बर लेंगे नहीं जिन को ख़बर अपनी

    ज़हीन' अपने लिए दैर-ओ-हरम दोनों बराबर हैं

    जिधर से वो गुज़रते हैं वही है रहगुज़र अपनी

    स्रोत :
    • पुस्तक : आयात-ए-जमाल (पृष्ठ 169)

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