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Sufinama

हम ने दर-पर्दा तुझे माह-जबीं देख लिया

अज्ञात

हम ने दर-पर्दा तुझे माह-जबीं देख लिया

अज्ञात

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    रोचक तथ्य

    ’’بیاضِ قوال، بہارِ قوال‘‘ حصہ دوم کے صفحہ ۲۴؍ پر یہ غزل امیرؔ مینائی سے منسوب ہے۔

    हम ने दर-पर्दा तुझे माह-जबीं देख लिया

    अब कर पर्दा कि पर्दा-नशीं देख लिया

    तेरे दीदार की हम को थी तमन्ना सो तुझे

    लोग देखेंगे वहाँ हम ने यहीं देख लिया

    हम नज़र-बाज़ों से तू छुप सका जान-ए-जहाँ

    तू जहाँ जा के छुपा हम ने वहीं देख लिया

    हम ने देखा तुझे आँखों की सियाह पुतली में

    सात पर्दों में तुझे पर्दा-नशीं देख लिया

    पूछे उस से कोई तौहीद के मज़मूँ 'साक़ी'

    जिस ने अहमद को अहद के ही क़रीं देख लिया

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    फरीद अयाज़

    फरीद अयाज़

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