ये है अल्लाह का फ़रमान हर इक को सुना देना
ये है अल्लाह का फ़रमान हर इक को सुना देना
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
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ये है अल्लाह का फ़रमान हर इक को सुना देना
जो अपने आप को बंदा समझता है सज़ा देना
न उस को ख़ौफ़ हो दिल में न उस की आरज़ू दिल में
जहन्नम को बुझा कर आग जन्नत को लगा देना
'अमल अपने ग़लत गर हैं तो दे हम को सज़ा या-रब
मगर पहले हमारे रहनुमाओं को सज़ा देना
अज़ल में लापता थे लापता हैं लापता होंगे
पता अपना कोई पूछे तो किस को क्या पता देना
जो अंधा हो उसे दाग़-ए-जिगर किस तरह दिखलाना
हक़ीक़त में जो बहरा हो उसे आवाज़ क्या देना
अभी अल्लाह नबी इबलीस को मैं खींच कर लाऊँ
अगर मा'लूम है तो उन का 'रिज़वाँ' को पता देना
- पुस्तक : अल-कबीर
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