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बेदम शाह वारसी

1876 - 1936 | उन्नाव, भारत

मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र और ''बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना' के लिए मशहूर

मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र और ''बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना' के लिए मशहूर

बेदम शाह वारसी

कलाम 20

ना'त-ओ-मनक़बत 23

ग़ज़ल 64

शे'र 87

क़िता' 1

 

गागर 1

 

चादर 5

 

वीडियो 44

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मुईन वारसी

अशफाक़ अली और हमनवा

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

अगर का'बः का रुख़ भी जानिब-ए-मय-ख़ाना हो जाए

आबिदा परवीन

अदा की ले रही है 'अर्श की पहलू-नशीं हो कर

अब आदमी कुछ और हमारी नज़र में है

हाजी महबूब अ'ली

आई नसीम-ए-कू-ए-मोहम्मद सल्लल्लाहु-अ'लैहे-वसल्लम

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

इस तरफ़ भी करम ऐ रश्क-ए-मसीहा करना

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

का'बे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए

अज्ञात

काश मिरी जबीन-ए-शौक़ सज्दों से सरफ़राज़ हो

हाजी महबूब अ'ली

क़िस्मत खुली है आज हमारे मज़ार की

हाजी महबूब अ'ली

चूमी रिकाब उठ के किसी शहसवार की

हाजी महबूब अ'ली

जनाब-ए-वारिस-ए-आल-ए-अबा की चादर है

अज्ञात

नूर-ए-नज़र-ए-अहमद-ए-मुख़्तार की चादर

अ'ली वारिस वारसी

फिर दिल में मिरे आई याद शह-ए-जीलानी

अज्ञात

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

बे-गानगी-ई-दिल के अफ़्साने को क्या कहिए

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

मिरे होते हुए कोई शरीक-ए-इम्तिहाँ क्यूँ हो

हाजी महबूब अ'ली

सरताज-ए-पीराँ क़ुतुब-ए-रब्बानी

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

सहारा मौजों का ले-ले के बढ़ रहा हूँ मैं

हाजी फ़य्याज़ अहमद

साया-ए-अहमद-ए-मुख़्तार मुबारक बाशद

मह्बूब बंदा नवाज़ी

हुज़ूर-ए-वारिस-ए-आली-मक़ाम की चादर

अज्ञात

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

फरीद अयाज़

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

हुसैन ग्रुप क़व्वाल

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

स्येद फ़सीहुद्दिन सुहरावर्दी

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

ताहिर अली, माहिर अली

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

साबरी ब्रदर्स

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

ग़ौस मुहम्मद नासिर

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

मुकर्रम अ'ली वारसी

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

फरीद अयाज़

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

तस्लीम आ'रिफ़

’अदम से लाई है हस्ती में आरज़ू-ए-रसूल

अ'ज़ीज़ मियां

इस तरफ़ भी करम ऐ रश्क-ए-मसीहा करना

मुकर्रम अ'ली वारसी

का'बे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए

राहिल फ़ारूक़

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

शह्बाज़ क़मर फ़रीदी

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

अमजद साबरी

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

आ'लम सैफ़ी

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

राहत फ़तेह अली ख़ान

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

हमसर हयात, अतहर हयात

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

ओवैद रज़ा क़ादरी

बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना

मिनहाज ना'त ग्रूप

वो चले झटक के दामन मिरे दस्त-ए-ना-तवाँ से

गिरीश साधवानी

वो चले झटक के दामन मिरे दस्त-ए-ना-तवाँ से

बेदम शाह वारसी

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