अहमद के घराने कि ज़िया सबसे अलग है
अहमद के घराने कि ज़िया सबसे अलग है
हाँ पीर मिरा सबसे जुदा सबसे अलग है
जब मैंने कहा मेरी ख़ता सबसे अलग है
तो उसने कहा मेरी अता सबसे अलग है
वो पहली मुलाक़ात भला कैसे मैं भूलूँ
देखा जो तुझे दिल ने कहा सबसे अलग है
यूँ तो हैं ज़माने में सख़ी लाख मगर सुन
अहमद के घराने की अता सबसे अलग है
जाता ही नहीं छोड़ के दर को तिरे कोई
तेरी गली की आब-ओ-हवा सबसे अलग है
आँखों से पिला साक़ी पिलाना है अगर तो
आँखों से ही पीने का मज़ा सबसे अलग है
अल्लाह की पहचान यहाँ जिसको हो आमिर
फिर उसकी मुहब्बत की जज़ा सबसे अलग है
मर के भी न छूटे ये तिरे दर की गदाई
मक़बूल हो आमिर की दुआ सबसे अलग है
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