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ब-फ़ैज़-ए-ज़िक्र-ए-रब वल्लाह पाई मैं ने 'इज़्ज़त है

आरज़ू महक

ब-फ़ैज़-ए-ज़िक्र-ए-रब वल्लाह पाई मैं ने 'इज़्ज़त है

आरज़ू महक

MORE BYआरज़ू महक

    ब-फ़ैज़-ए-ज़िक्र-ए-रब वल्लाह पाई मैं ने 'इज़्ज़त है

    मिरा उठना 'इबादत है मिरा सोना 'इबादत है

    ज़बाँ पे हम्द-ए-रब दिल में मोहम्मद की मोहब्बत है

    यही है मेरा सरमाया यही बस मेरी दौलत है

    ’अज़ाबों से बचो ईमान वालों मान भी जाओ

    ख़ुदा का ग़ैज़ जिस पर हो क़यामत ही क़यामत है

    गुनाहों से हमारी ज़िंदगी लबरेज़ है या रब

    हमारी मग़्फ़िरत का आसरा बस तिरी रहमत है

    मैं 'आसी हूँ मगर दिल में लिए हूँ आस जन्नत की

    मिरे सर पे रसूल-ए-पाक का दस्त-ए-शफ़ा'अत है

    उसे दो वक़्त की रोटी की ख़ातिर बेच देता है

    मुसलमाँ के लिए ईमान सामान-ए-तिजारत है

    हमारे दिल में क्यूँ ईमान की शमएँ' हों रौशन

    हर इक गोशा में काली कमली वाले की मवद्दत है

    चली हूँ जानिब मक्का मदीना जोश है दिल में

    ज़बाँ पर ना'रा-ए-तकबीर है पैरों में हरकत है

    बना लें इक कनीज़ अपनी मुझे मुर्सल-ए-आ'ज़म

    कि अब इस 'आरज़ू' के दिल में बस इतनी ही चाहत है

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