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बड़ी ऊँचों से ऊँची है तेरी सरकार या साबिर

अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

बड़ी ऊँचों से ऊँची है तेरी सरकार या साबिर

अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

MORE BYअ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان صابر پاک حضرت علی احمد (کلیر۔ہماچل پرادیش)

    बड़ी ऊँचों से ऊँची है तेरी सरकार या साबिर

    सदा रहमत बरसती है तेरे दरबार या साबिर

    गया आज तक ख़ाली तेरे दर से कोई साएल

    फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर के दिलदार या साबिर

    महक उठी फ़ज़ा कलियर की तेरी ज़ात-ए-अक़्दस से

    खिले मेरे दिल-ए-मुज़्तर की भी गुलज़ार या साबिर

    तेरे सब्र-ओ-रज़ा का वास्ता लिल्लाह करम करना

    मेरी सोई हुई क़िस्मत भी हो बेदार या साबिर

    तेरे मेहर-ओ-वफ़ा की धूम है सारे ज़माने में

    मेरी जानिब भी हो नज़र-ए-करम इक बार या साबिर

    क़दम चूमे हैं दुनिया के शहंशाहों ने झुक-झुक कर

    बंधी देखी है जिस के सर तेरी दस्तार या साबिर

    दिल-ओ-जाँ फ़र्श-ए-राह हैं भी जा कि ’ईद हो जाए

    तेरे सदक़े तेरे क़ुर्बां तेरे बलिहार या साबिर

    बड़ी सरकार है तेरी सहारा दो 'नियाज़ी' को

    तेरे ही नाम से होते हैं बेड़े पार सा साबर

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-नियाज़ी (पृष्ठ 67)

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