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ऐ सरवर-ए-दुनिया-ओ-दीं तेरी निराली शान है

फ़ना बुलंदशहरी

ऐ सरवर-ए-दुनिया-ओ-दीं तेरी निराली शान है

फ़ना बुलंदशहरी

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    रोचक तथ्य

    “ऐ सरवर-ए-दुनिया-ओ-दीं” की जगह नुसरत ने इसी मिसरे की तकरार की है ''काली कमली वाले आक़ा, चेहरा तेरा कुरआन है''

    सरवर-ए-दुनिया-ओ-दीं तेरी निराली शान है

    दर है तिरा रश्क-ए-हरम चेहरा तिरा क़ुरआन है

    ख़त्म-ए-रुसुल मुख़्तार-ए-कुल नबियों का तू सुल्तान है

    सूरत तिरी हुस्न-ए-अज़ल तुझ पे जहाँ क़ुर्बान है

    मंगतों का आक़ा रख भरम कर दे करम शाह-ए-उमम

    दुखियों की मुश्किल टालना तेरे लिए आसान है

    मे'राज का दूल्हा है तू ख़ालिक़ के घर पहुँचा है तू

    तू है हबीब-ए-किब्रिया तू 'अर्श का मेहमान है

    दर से तिरे वाबस्तगी दोनों जहाँ की बेहतरी

    निस्बत तिरी या मुस्तफ़ा ईमान की पहचान है

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    नुसरत फ़तेह अली ख़ान

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