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Sufinama

क्या गुलशन-ए-यसरिब में महकती है चमेली

अलाउद्दीन जलाली

क्या गुलशन-ए-यसरिब में महकती है चमेली

अलाउद्दीन जलाली

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    क्या गुलशन-ए-यसरिब में महकती है चमेली

    किस शौक़ से हर फूल को तकती है चमेली

    क्या वज्द में रहमत के शजर झूम रहे हैं

    कैसी सिफ़त-ए-शाख़ लचकती है चमेली

    है लाला-ए-गुलज़ार का दिल दाग़ से दाग़ी

    और नूर-ए-इलाही से चमकती है चमेली

    क़ुमरी शजर-ए-सर्व पे करती है तराने

    बुलबुल तेरी टहनी पे चहकती है चमेली

    दीदार दिखा गुल-ए-गुलज़ार इलाही

    बिस्मिल की तरह ग़म में तड़पती है चमेली

    लाई है सबा निगहत-ए-पैराहन-ए-अहमद

    और मुश्क-ए-सिफ़त ख़ूब महकती है चमेली

    नैरंग-ए-हुस्न-ए-गुल-ए-गुलज़ार अ'रब से

    नर्गिस की तरह आँख झपकती है चमेली

    क्या सीना-ए-पुर-दाग़ है दाग़-ए-मह-ए-ताबाँ

    क्यूँ दामन-ए-गुल शर्म से ढकती है चमेली

    मस्ताना-ए-चश्म-ए-शह-ए-अनवर हूँ 'जलाली'

    नर्गिस की तरह यूँ मुझे तकती है चमेली

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