'अरब के दूल्हा 'अरब के माही रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
'अरब के दूल्हा 'अरब के माही रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
अमीर बख़्श साबरी
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'अरब के दूल्हा 'अरब के माही रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
ऐ उम्मी लक़बी ऐ 'आली लक़बी रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
तुम्हारे 'आशिक़ ऐ कुल के मालिक कोई है मज्ज़ूब कोई सालिक
उवैस क़र्नी बिलाल हब्शी रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
मैं सदक़े तौहीद के उजाले ये कह रहे हैं निगाह वाले
तुम्हारा है हुस्न हुस्न-ए-रब्बी रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
तुम्हारा ही हुस्न हुस्न-ए-यकता है तूर पर बे-नक़ाब देखा
कहा जो मूसा ने रब्बे-अरेनी रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
बनाई दोनों जहाँ की बिगड़ी 'अरब की बस्ती बसाई उजड़ी
ये शान वाला में है करीमी रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
दुरूद पढ़ते सलाम पढ़ते क़सम ख़ुदा की मुदाम पढ़ते
मे'राज की शब तमाम क़ुदसी रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
है सब्ज़ गुम्बद सुनहरी जाली हैं बैठे इस में दो जग वाली
'अमीर' दुनिया पुकार उठी रसूल-ए-'अरबी रसूल-ए-'अरबी
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