दोनों 'आलम में खुली कैसी बहार-ए-पंजतन
रोचक तथ्य
منقبت در شان پنجتن پاک
दोनों 'आलम में खुली कैसी बहार-ए-पंजतन
ता अबद क़ाइम रहेगी यादगार-ए-पंजतन
है कलाम-उल-लाह की तफ़्सीर उन की शान-ए-पाक
नातिक़-ए-क़ुरआन में नक़्श-ओ-निगार-ए-पंजतन
उन के हुस्न-ए-पाक की फैली ज़िया है चार सू
हो रहे हैं 'अर्श पर क़ुदसी निसार-ए-पंजतन
जान दे दी पर न जाने दीन की तौक़ीर दी
कर्बला में रंग लाया क्या वक़ार-ए-पंजतन
या मोहम्मद या ’अली-ओ-फ़ातिमा हसनैन-ए-पाक
मालिक-ए-कौनैन हैं ये ताजदार-ए-पंजतन
’अंदलीबों ने ये की नग़्मा-सराई हर तरफ़
बाग़-ए-हस्ती में है छाई क्या बहार-ए-पंजतन
दो 'अमीर'-ए-साबरी को अपने क़दमों में जगह
ये भी है औ दना-सा मौला ख़ाकसार-ए-पंजतन
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