Font by Mehr Nastaliq Web

क्या रुत्बा है ग़ौस का वो हैं शह-ए-बग़दाद

अनवर फ़र्रूख़ाबादी

क्या रुत्बा है ग़ौस का वो हैं शह-ए-बग़दाद

अनवर फ़र्रूख़ाबादी

MORE BYअनवर फ़र्रूख़ाबादी

    रोचक तथ्य

    زاہد نازاں قوال کی آواز میں فلم بطرز ’’شرابی۔ دے دے پیار دے‘‘ منقبت درشان غوث پاک شیخ عبدالقادر جیلانی۔

    क्या रुत्बा है ग़ौस का वो हैं शह-ए-बग़दाद

    उस की बलाएँ टाल दें दिल से करे जो याद

    उन का नाम ले नाम ले नाम ले रे उन का नाम ले

    तू जो कहेगा वक़्त-ए-मुश्किल या शाह-ए-जिलानी

    तिरी हर फ़रियाद सुनेंगे महबूब-ए-सुबहानी

    उन का नाम ले नाम ले नाम ले रे उन का नाम ले

    सुर्मा है अपने वास्ते उन के दर की ख़ाक

    वो पीरों के पीर हैं लक़ब है ग़ौस-ए-पाक

    दुखियों से है उन को मोहब्बत ये 'अक़ीदा मेरा

    टल जाएगी तेरी आफ़त काम बने तेरा

    उन का नाम ले नाम ले नाम ले रे उन का नाम ले

    वो हैं ख़ुदा के लाडले वो हैं आल-ए-रसूल

    तुझ को ख़ुदा का वास्ता उन को हरगिज़ भूल

    तेरे लिए काफ़ी है अनवर उन का एक इशारा

    जब भी उन्हें तू याद करेगा देंगे तुझे सहारा

    उन का नाम ले नाम ले नाम ले रे उन का नाम ले

    स्रोत :
    • पुस्तक : Zahid Nazan Qawwal, Part 1 (पृष्ठ 6)

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए