जाँ पर बन गई अब आइए शयअन लिल्लाह
रोचक तथ्य
منقبت درشان شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد۔عراق)
जाँ पर बन गई अब आइए शयअन लिल्लाह
मुश्किल आसाँ मिरी फ़रमाइए शयअन लिल्लाह
कश्तियाँ डूबी हुई आप ने तैराई हैं
मेरी इमदाद भी फ़रमाइए शयअन लिल्लाह
आप का तालिब-ए-दीदार हूँ ग़ौसुस्सक़लीन
रू-ए-ज़ेबा मुझे दिखलाइए शयअन लिल्लाह
अपने दादा असदुल्लाह के क़दमों का तुफ़ैल
दस्त-गीरी मिरी फ़रमाइए शयअन लिल्लाह
हिन्द में बे-सर-ओ-सामाँ रहे कब तक 'बेदम'
उस को बग़दाद में बुलवाइए शयअन लिल्लाह
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