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जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद में ख़ुद को क़ुर्बान ख़ुदाया करते हैं

डॉ. शाह ख़ुसरौ हुसैनी

जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद में ख़ुद को क़ुर्बान ख़ुदाया करते हैं

डॉ. शाह ख़ुसरौ हुसैनी

MORE BYडॉ. शाह ख़ुसरौ हुसैनी

    जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद में ख़ुद को क़ुर्बान ख़ुदाया करते हैं

    वल्लाह मोहम्मद ख़ुद उन पर जल्वा फ़रमाया करते हैं

    जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद में फ़ानी दुनिया की परवाह करते हैं

    वो अपना नशेमन ख़ुल्द-ए-बरीं में ख़ूब बनाया करते हैं

    जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद में ख़ुद को दीवाना बनाया करते हैं

    वो दोनों जहाँ को यूँ अपना दीवाना बनाया करते हैं

    जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद को दिल में बस अपने बसाया करते हैं

    महबूब मुहिब यकजा हो कर उस दिल में समाया करते हैं

    जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद को अपने जीने का सहारा करते हैं

    क़ुर्बान-ए-मोहम्मद पर उन के नाज़ों को उठाया करते हैं

    जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद से दिल को आईना बनाया करते हैं

    दीदार-ए-इलाही के फूलों से दिल को सजाया करते हैं

    जो 'इश्क़-ए-मोहम्मद में 'ख़ुसरौ' जब सू-ए-मदीना चलते हैं

    वाइज़-ए-नादाँ देख मलाइक उन पर साया करते हैं

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