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Sufinama

इधर महव-ए-तसव्वुर हों उधर दीदार हो जाए

फ़रीद इमादी

इधर महव-ए-तसव्वुर हों उधर दीदार हो जाए

फ़रीद इमादी

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    रोचक तथ्य

    منقبت در شان حضرت مخدوم شہاب الدین پیر جگجوت (جیٹھلی، پٹنہ)

    इधर महव-ए-तसव्वुर हों उधर दीदार हो जाए

    करम इतना तो मुझ पर मिरे सरकार हो जाए

    पिला ऐसी कि पी कर मस्त हर मय-ख़्वार हो जाए

    मय-ए-हुब्ब-ए-शहाबुद्दीन से सरशार हो जाए

    जो तेरी दस्त-गीरी ना-ख़ुदा बन कर सहारा दे

    तो मौजों के तलातुम में भी कश्ती पार हो जाए

    कमाल-ए-फ़ैज़ से गिर्दाब-ए-ग़म बन जाए ख़ुद साहिल

    'इनायत की नज़र गर हो तो बेड़ा पार हो जाए

    तो फिर हर दाग़-ए-'इस्याँ मेहर की सूरत चमक उट्ठे

    ज़ियारत रू-ए-अनवर की अगर इक बार हो जाए

    'फ़रीद' आसान हो जाएँ अभी दुश्वारियाँ सारी

    अगर दिल को तुम्हारे 'इश्क़ का आज़ार हो जाए

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