गंज-ए-शकर मोरी रंग दो चुनरिया
ऐसो रंग रंग दो रंग नाहीं छूटे
धोबिया धोए चाहे सारी 'उमरिया
मोरी भी रंग दो चुनरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
गंज-ए-शकर साँवरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
तू महाराज मोरा मैं दासी तिहारी
ना छोड़ूँगी बाबा मैं तोरी दुवरिया
पड़ी हूँ मैं आ के द्वारन पे तोरे
मोहम्मद के सदक़े में रंग दो चुनरिया
मोरी भी रंग दो चुनरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
मंगती हूँ ख़ाली न मोड़ो
मुझ पापन की आस न तोड़ो
दासी की लीजो खबरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
मोरी भी रंग दो चुनरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
ऐसी जोगनिया को मदवा पिला दो
मदवा पिला के मोरी सुध-बुध गँवा दो
छलके न मन की गगरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
मोरी भी रंग दो चुनरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
धूम मची है जग में तुहारी
बल-बल जाऊँ तोरे कृष्ण मुरारी
फिर से बजाओ बाँसुरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
करती हूँ बिनती पड़ती हूँ पय्याँ
पकड़ मोरी साबिर के सदक़े में बयाँ
मुझे अपने द्वारन की जोगन बना कर
मोरी लाज रख मोरे बाँके सँवरिया
मोरी भी रंग दो चुनरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
मैं दुनिया के दुःख की सताई हूँ बाबा
लिए आस द्वारन पे आई हूँ बाबा
अभागन हूँ बाबा सुहागन बनूँगी
जो पड़ जाए इक बार तोरी नजरिया
मोरी भी रंग दो चुनरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
गंज-ए-शकर तुम जग उजियारे
सब दुखियन के तारन हारे
मोरी भी तारो नवरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
पाक पतन के बाँके सय्याँ
गंज-ए-शकर मोरी पकड़ो बय्याँ
कृपा की कीजो नजरिया
बाबा मैं तोरी पूजा करूँगी
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