दिखा के उस ने जमाल अपना क़रार सब मेरा ले लिया है
रोचक तथ्य
منقبت در شان حضرت حاجی عبدالکریم (حیدرآباد-بھارت)
दिखा के उस ने जमाल अपना क़रार सब मेरा ले लिया है
सुकून दम को न चैन दिल को 'अजीब बे-कल बना दिया है
लड़ी नज़र जब कि उस से मेरी रही ख़ुदी फिर ज़रा न मेरी
ये 'इश्क़ कम्बख़्त का भला हो कहीं का मुझ को नहीं रखा है
फ़ना है क्या शै समझ ले उस को बक़ा है क्या चीज़ पा ले उस को
अगर समझ कुछ ख़ुदा ने दी है फ़ना बक़ा है बक़ा फ़ना है
तलाश उस की है 'अर्श पर क्यूँ धरा है क्या ला-मकाँ के अंदर
नज़र में पैदा जो हो सफ़ाई तो देख ले हर जगह ख़ुदा है
जो कुछ है उस का वो सब है मेरा जो कुछ है मेरा वो सब है उस का
जो वो है मैं हूँ जो मैं हूँ वो है न मैं अलग हूँ न वो जुदा है
मैं नूर हूँ ’अर्श-ओ-ला-मकाँ में ज़ुहूर हूँ मैं ये सब जहाँ में
ख़ुदा में मुझ में नहीं जुदाई ख़ुदा का मीं हूँ मिरा ख़ुदा है
के अलस्तो-बे-रब्बेकुम का बला दिया था जवाब तुम ने
अब इस को पहचानते नहीं तुम जहान वालो ये क्या हुआ है
मैं सदक़े उस मज़हर-ए-ख़ुदा के है नाम ’अब्दुल-करीम जिस का
ज़रा तवज्जोह में उस ने 'ग़ौसी' ख़ुदा का जल्वा दिखा दिया है
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