सर कटा डाला नाम-ए-ख़ुदा पर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
सर कटा डाला नाम-ए-ख़ुदा पर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
इश्तियाक़ आलम शहबाज़ी
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रोचक तथ्य
مناقب در شان اہلِ بیت اطہار۔
सर कटा डाला नाम-ए-ख़ुदा पर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
सर ही क्या दे दिया अपना घर भर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
ये कलेजा था आल-ए-नबी का ये जिगर था तो इब्न-ए-'अली का
है न होगा कोई ऐसा रहबर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
दूध का फ़ातिमा के असर था इब्न-ए-हैदर जो सीना-सिपर था
था जलाल-ए-ख़ुदा उन का तेवर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
तीन दिन के वो भूके प्यासे कह रहे थे सफ़-ए-अश्क़िया से
मर्द-ए-मोमिन को क्या मौत का डर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
दस्त-ए-शब्बीर पर नन्हे असग़र तीर खा के हुए ख़ून में तर
इस्तक़ामत ये अल्लाहु अकबर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
शान-ए-’अब्बास-ए-’अलम-दार देखो क्या नबी का घराना है समझो
है कहाँ कोई ऐसा बिरादर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
ज़ख़्म है उन के तन पे बेहतर फिर भी सज्दे में हैं इब्न-ए-हैदर
’अस्र का वक़्त और तेग़ सर पर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
दीन-ओ-दुनिया में जो कुछ 'ज़िया' है सदक़ा-ए-ख़ाना-ए-मुस्तफ़ा है
सब के मौला हैं शब्बीर-ओ-शबर मर्हबा शान-ए-आल-ए-पयम्बर
- पुस्तक : Jalwa-e-Gul Lafz-ba-Lafz (पृष्ठ 76)
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