Font by Mehr Nastaliq Web

कमली वाले निगह-ए-करम हो अगर ना दवा चाहिए ना शिफ़ा चाहिए

साइम चिश्ती

कमली वाले निगह-ए-करम हो अगर ना दवा चाहिए ना शिफ़ा चाहिए

साइम चिश्ती

MORE BYसाइम चिश्ती

    कमली वाले निगह-ए-करम हो अगर ना दवा चाहिए ना शिफ़ा चाहिए

    मैं मरीज़-ए-मोहब्बत हूँ मुझ को तो बस इक नज़र या हबीब-ए-ख़ुदा चाहिए

    अब तो हो नज़र-ए-रहमत मिरे मुस्तफ़ा आख़िरी वक़्त है तेरे बीमार का

    कुछ भी इस के सिवा मैं नहीं माँगता तेरे दामन की ठंडी हवा चाहिए

    तल्ख़ी-ए-हश्र क्या हम को तड़पाएगी ख़ुद ही क़दमों में जन्नत चली आएगी

    बात बिगड़ी हुई सब की बन जाएगी बस तिरे नाम का आसरा चाहिए

    ताजदार-ए-दो-’आलम हबीब-ए-ख़ुदा कौन जाने कि कितना है रुत्बा तिरा

    चाहते हैं दो-'आलम ख़ुदा की रज़ा रब्ब-ए-आ'लम को तेरी रज़ा चाहिए

    तू ही ईमान से हम को वाइ'ज़ बता किस से माँगें भला मुस्तफ़ा के सिवा

    अंबिया भी पुकारेंगे महशर के दिन मुस्तफ़ा चाहिए मुस्तफ़ा चाहिए

    नेकियाँ करने वाले हैं ये सोचते ख़ाली 'साइम' का दामन है आ'माल से

    पंजतन की ग़ुलामी मिली है मुझे मग़्फ़िरत के लिए और क्या चाहिए

    वीडियो
    This video is playing from YouTube

    Videos
    This video is playing from YouTube

    नुसरत फ़तेह अली ख़ान

    नुसरत फ़तेह अली ख़ान

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए