ख़लक़ के सरवर शाफ़ा-ए-महशर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
ख़लक़ के सरवर शाफ़ा-ए-महशर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
मुर्सल-ए-दावर-ए-ख़ास पयम्बर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
नूर-ए-मुजस्सम नय्यर-ए-आज़म सरवर-ए-आलम मोनिस-ए-आदम
नूह के हमदम ख़िज़्र के रहबर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
फ़ख़्र-ए-अयाँ हैं अर्श-ए-मकाँ हैं शाह-ए-शहाँ हैं सैफ़-ए-ज़बाँ हैं
सब पे अयाँ हैं आप के जौहर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
बहर-ए-सख़ावत कान-ए-मुरव्वत आयः-ए-रहमत शाफ़ेअ-ए-उम्मत
मालिक-ए-जन्नत क़ासिम-ए-कौसर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
क़िब्लः-ए-आलम का'बः-ए-आज़म सब से मुक़द्दम राज़ के महरम
जान-ए-मुजस्सम रूह-ए-मुसव्विर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
दौलत-ए-दुनिया ख़ाक बराबर हाथ के ख़ाली दिल के तवंगर
मालिक-ए-किशवर तख़्त न अफ़सर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
रहबर-ए-मूसा हादी-ए-ईसा तारिक-ए-दुनिया मलक-ए-उक़्बा
हाथ का तकिया ख़ाक का बिस्तर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
सर्व-ए-ख़िरामाँ चेहर: गुलिस्ताँ जिब्ह-ए-ताबाँ मेहर-ए-दरख़्शाँ
सुंबुल-ए-पेचाँ ज़ुल्फ़-ए-मोअ'म्बर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
चश्मः-ए-जारी खास्सः-ए-बारी गर्द-सवारी बाद-ए-बहारी
आईना-दारी फ़ख़्र-ए-सिकन्दर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
मेहर से ममलू रेशा रेशा ने'मत 'अमीर' अपना है पेशः
दर्द हमेशः रहता है अक्सर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम
- पुस्तक : महामिद-ए-ख़ातिमुन नबिय्यीन (पृष्ठ 69)
- रचनाकार : अमीर मीनाई
- प्रकाशन : मुंशी नवलकिशोर, लखनऊ (1930)
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