जब बनाया जा रहा था आप को दूल्हा हुसैन
रोचक तथ्य
منقبت در شان حضرت امام حسین (کربلا-ایران)
जब बनाया जा रहा था आप को दूल्हा हुसैन
ख़ुल्द से हूरें सजा कर लाई थीं जोड़ा हुसैन
जिस के दिल में था मुनव्वर आप का जज़्बा हुसैन
ज़िंदगी को हार कर भी वो नहीं हारा हुसैन
नोक-ए-नेज़ा पर तुम्हारा आयतें पढ़ना हुसैन
कर गया सच्चाई के आईन को ज़िंदा हुसैन
कोई 'आशिक़ है तुम्हारा कोई दीवाना हुसैन
हर कोई तो है तुम्हारी ज़ात पर शैदा हुसैन
रू-ब-रू अल्लाह के ऐसा किया सज्दा हुसैन
तोड़ डाला मुनकिरों का तुम ने मंसूबा हुसैन
प्यार की बुनियाद डाली थी ज़मीन-ए-'इश्क़ पर
मुस्तफ़ा ने जब लिया था आप का बोसा हुसैन
बाज़ुओं में थी शुजा'अत हैदर-ए-कर्रार की
हौसला कैसे तुम्हारा टूट सकता था हुसैन
वो बहिश्ती उस की नस्लें तक बहिश्ती हो गईं
जिस गदा के नाम तुम ने लिख दिया परचा हुसैन
आप की क़ुर्बानियों ने लाज रख ली दीन की
वर्ना मुश्किल था बहुत ईमान बच पाता हुसैन
आप जिस रस्ते पे रख दें अपना पाकीज़ा क़दम
ख़ुशबुओं के बहने लगते हैं वहाँ दरिया हुसैन
जल उठे दीन-ए-पयम्बर की तजल्ली के चराग़
जब तिलिस्म-ए-तीरगी को आप ने तोड़ा हुसैन
आप के तर्ज़-ए-अमल ने ये भी साबित कर दिया
इक नमाज़ी ही रहेगा हश्र तक ज़िंदा हुसैन
ख़ारज़ारों में भटकती फिर रही थी जब हयात
तेरे क़दमों ने दिखाया रास्ता सीधा हुसैन
मुनकिरों के हौसलों पर ग़म का पानी फिर गया
कर्बला में क़ाफ़िला जब आप का उतरा हुसैन
गुलशन-ए-दीन-ए-नबी में आ गई फ़स्ल-ए-बहार
तुम ने जिस दिन से निज़ाम-ए-ज़िंदगी बदला हुसैन
दीन-ए-अहमद का जो मुंकिर है वही महरूम है
वर्ना हर इक को मिला है आप का सदक़ा हुसैन
वक़्त ने देखा तो बस वो देखता ही रह गया
कर्बला की सरज़मीं पर आप का जल्वा हुसैन
- पुस्तक : अनवार-ए-करबला (पृष्ठ 64)
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