ख़ुदा का हर तसव्वुर ज़ेहन-ए-इंसानी की ख़ल्लाक़ी
ख़ुदा का हर तसव्वुर ज़ेहन-ए-इंसानी की ख़ल्लाक़ी
ये ख़ल्लाक़ी है रंग-ए-अंफ़ुसी-ओ-रंग-ए-आफ़ाक़ी
ख़ुदा की ज़ात 'आली अन्फ़ुस-ओ-आफ़ाक़ से बाला
हर इक तक़ईद से बाला हर इक इतलाक़ से बाला
वो ला-महदूद है महदूद उस की ज़ात क्या जाने
वो ख़ालिक़ है भला मख़्लूक़ उस की बात क्या जाने
ख़ुदा घेरे हुए है हम को घिर सकता नहीं हम से
ख़बर क्या कैफ़-ओ-कम को हस्ती-ए-बे-कैफ़-ओ-बे-कम से
रसाई कुनद ज़ात-ए-हक़्क़-ए-ता’ला तक कहाँ अपनी
ख़याल-आराइयाँ अपनी क़यास-आराइयाँ अपनी
हम अपने वह्म की मख़्लूक़ को ख़ालिक़ बताते हैं
ख़ुदा हम को बनाता है ख़ुदा को हम बनाते हैं
जो पैदा करने वाला है वो पैदा हो नहीं सकता
जो ख़ालिक़ है वो हो मख़्लूक़ ऐसा हो नहीं सकता
हक़ीक़त की ख़बर जब मा-सिवा को हो नहीं सकती
ख़ुदा की मा'रिफ़त ग़ैर-ए-ख़ुदा को हो नहीं सकती
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