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सलाम ऐ अर्ज़-ए-किलियर मज़हर-ए-अनवार-ए-रब्बानी

ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी

सलाम ऐ अर्ज़-ए-किलियर मज़हर-ए-अनवार-ए-रब्बानी

ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी

MORE BYख़्वाजा नाज़िर निज़ामी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان صابر پاک حضرت علی احمد (کلیر۔اترا کھنڈ)

    सलाम अर्ज़-ए-किलियर मज़हर-ए-अनवार-ए-रब्बानी

    सलाम तुर्बत-ए-ख़्वाजा अलाउद्दीन नूरानी

    ब-हक़्क़-ए-ख़्वाजा-ए-हिंदल-वली मख़्दूम सुन लीजे

    मुझे घेरे हुए है हर तरफ़ से ग़म की तुग़्यानी

    तुफ़ैल-ए-ख़्वाजा कुत्बुद्दीन क़ुत्ब-ए-दो जहाँ हज़रत

    निगाह-ए-लुत्फ़ से कर दीजिए सब दूर हैरानी

    फ़रीदी नाम-लेवा हूँ निज़ामी दर से आया हूँ

    करम से अपने साबिर मिटा दीजे परेशानी

    चराग़-ए-देहलवी की रौशनी-ए-पाक का सदक़ा

    जला दीजिए मिरे दिल में भी एक क़िंदील-ए-नूरानी

    तुम्हारे सिलसिले की रौशनी हैं ख़्वाजा-ए-ख़ानून

    मिरे मुर्शिद मिरे शाह विलायत ज़िल्ल-ए-सुब्हानी

    वसीला ले के मैं उन का तुम्हारे दर पे आया हूँ

    दु'आ ये है कि हासिल हो मुझे इन'आम-ए-रूहानी

    मय-ए-’इरफ़ाँ पिला दीजे मुजल्ला क़ल्ब कर दीजे

    रहे बाक़ी मेरे दिल में कोई शर्र-ए-नफ़सानी

    ब-रब्त-ए-जुमला अर्बाब-ए-सलासिल साहब-ए-निस्बत

    सफ़ीना पार हो जाए ब-शक्ल-ए-नूह-ए-तूफ़ानी

    ब-जुज़ इस के नहीं कोई तमन्ना अपनी 'नाज़िर'

    क़यामत तक रहे हासिल दर-ए-अक़्दस की दरबानी

    स्रोत :
    • पुस्तक : हदीस-ए-निज़ामी (पृष्ठ 139)

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