'अली के नाम की 'अज़्मत सिफ़ात-ए-इस्म-ए-आ’ज़म है
रोचक तथ्य
منقبت در شان امیرالمؤمنین حضرت علی مرتضیٰ (نجف-عراق)
'अली के नाम की 'अज़्मत सिफ़ात-ए-इस्म-ए-आ’ज़म है
'अली ही 'इल्म की तौक़ीर का हुस्न-ए-मुजस्सम है
'अली का ज़िक्र है क़ुरआन के दिलकश हवालों में
'अली की परवरिश रब ने करी नूरी उजालो में
'अली 'इश्क़-ए-पयम्बर का जुदा अंदाज़ होता है
'अली मुश्किल घड़ी में माइल-ए-परवाज़ होता है
'अली की ज़ात शामिल मुस्तफ़ा के राज़-दारों में
'अली की शख़्सियत सब से अलग है जाँ-निसारों में
'अली दुनिया के अंदर ख़ाना-ए-का'बा में आया है
'अली ’इश्क़-ए-नुबुव्वत की सनद को साथ लाया है
'अली को लोग कहते हैं 'अली इब्न-ए-अबी-तालिब
'अली के नाम से डरता है दुनिया का हर इक ग़ासिब
'अली की अहलिया बिन्त-ए-पयम्बर फ़ातिमा ज़हरा
'अली के सर की ज़ीनत है इमामत का हसीं सेहरा
'अली के लाडलों को मुस्तफ़ा की चैन कहते हैं
'अली ज़ादों को 'आशिक़ प्यार से हसनैन कहते हैं
'अली का मर्तबा ये है इमामत की बहारों में
'अली के दर पे रहते हैं क़लंदर भी क़तारों में
'अली के दर से ही मंसूब है शजरा विलायत का
'अली के सर की ज़ीनत ताज है दस्त-ए-सख़ावत का
'अली ज़ादे शरी'अत को यज़ीदों से बचाते हैं
'अली के लाडले ही कर्बला में काम आते हैं
'अली का जो नहीं 'शायान' अपना हो नहीं सकता
'अली से बुग़्ज़ रखे जो नबी का हो नहीं सकता
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