ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
संजर ग़ाज़ीपुरी
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ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
पैदा हुए जब शाह-ए-हुदा
फ़ख़्र-ए-दो-आलम सल्ले-अला
काबा से आती थी सदा
ला-इलाह-इलल्लाह
रू-ए-नबी जिस दम चमका
देख के आलम शैदा हुआ
बे-ख़ुद हो कर सब ने कहा
ला-इलाह-इलल्लाह
ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
ख़ालिक़ के दिलदार नबी
बेकस के ग़म-ख़्वार नबी
नबियों के सरदार नबी
आलम के मुख़्तार नबी
उम्मत के सरदार नबी
रात-दिन हर बार नबी
विर्द है बस ये कलमः
ला-इलाह-इलल्लाह
ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
दस्त ख़ुदा का सँवारा है
आमना का वो प्यारा है
जग का खेवन-हारा है
सब का राज-दुलारा है
अर्श-ए-ख़ुदा का तारा है
जिगर जिगर जग सारा है
फैली है हर-सू उस की ज़िया
ला-इलाह-इलल्लाह
ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
होगा बपा जिस दम महशर
उम्मत सारी घबरा कर
पकड़ेगी दामन जा कर
किस के कमर उस दम सुरूर
हक़ से कहेंगे रो रो कर
बख़्श दे उन को ऐ दावर
क्यूँकि है सब ने दिल से कहा
ला-इलाह-इलल्लाह
ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
दाई हलीमा के पाले ने
मेरे अनोखे निराले ने
उम्मत के रखवाले ने
दोनों जग के उजाले ने
वहदत के मतवाले ने
'संजर' अल्लाह वाले ने
कलमः का डंका दिया बजा
ला-इलाह-इलल्लाह
ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह ला-इलाह-इलल्लाह
- पुस्तक : दीवान-ए-संजर अल-मा'रूफ़ गुलदस्ता-ए-कलाम-ए-संजर (पृष्ठ 134)
- रचनाकार : संजर ग़ाज़ीपूरी
- प्रकाशन : शैख़ ग़ुलाम हुसैन ऐंड संस ताजिरान-ए-कुतुब, कश्मीरी बाज़ार, लाहौर
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