Font by Mehr Nastaliq Web

तिरा जल्वा नूर-ए-ख़ुदा ग़ौस-ए-आ'ज़म

मुस्तफ़ा रज़ा ख़ान

तिरा जल्वा नूर-ए-ख़ुदा ग़ौस-ए-आ'ज़म

मुस्तफ़ा रज़ा ख़ान

MORE BYमुस्तफ़ा रज़ा ख़ान

    रोचक तथ्य

    منقبت در شان غوث پاک شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد-عراق)

    तिरा जल्वा नूर-ए-ख़ुदा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तिरा चेहरा ईमाँ-फ़ज़ा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    मुझे बे-गुमाँ दे गुमाँ ग़ौस-ए-आ'ज़म

    पाऊँ मैं अपना पता ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ुदी को मिटा दे ख़ुदा से मिला दे

    दे ऐसी फ़ना-ओ-बक़ा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ुदी को गुमाऊँ तो मैं हक़ को पाऊँ

    मुझे जाम-ए-'इरफ़ाँ पिला ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ुदा-साज़ आईना-ए-हक़-नुमा है

    तिरा चेहरा-ए-पुर-ज़िया ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ुदा तो नहीं है मगर तू ख़ुदा से

    जुदा भी नहीं है ज़रा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तू बाग़-ए-'अली का है वो फूल जिस से

    दिमाग़-ए-जहाँ बस गया ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तिरा मर्तबा क्यूँ आ'ला हो मौला

    है महबूब-ए-रब्ब-उल-'उला ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तिरा रुत्बा अल्लाहु अकबर सरों पर

    क़दम औलिया ने लिया ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तिरा दामन पाक थामे जो रहज़न

    बने हादी वो रहनुमा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    क्यूँ मेहरबाँ हो ग़ुलामों पे अपने

    करम की है तू कान या ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तिरे सदक़े जाऊँ मिरी लाज रख ले

    तिरे हाथ है लाज या ग़ौस-ए-आ'ज़म

    परेशान कर दे परेशानियों को

    परेशान है दिल मिरा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    मिरी कश्ती चकरा रही है भँवर में

    मिरे बा-ख़ुदा ना-ख़ुदा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ुदा-रा सहारा सहारा ख़ुदा-रा

    तलातुम है हद से सिवा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    अरे मोरे सय्याँ पडूँ तोरे पय्याँ

    पकड़ मोरी बय्याँ पिया ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ताएँ हमारी जो हद से सिवा हैं

    'अता तेरी उन से सिवा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ता-कारियाँ गरचे हद से भी अपनी

    सिवा हैं सिवा हैं सिवा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    हमारी ख़ता को तुम्हारी 'अता से

    भला कोई निस्बत भी या ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तू रहम-ओ-करम का है बे-पायाँ दरिया

    ये इक फ़र्द 'इस्याँ है क्या ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ये इक फ़र्द 'इस्याँ है क्या है तेरे आगे

    अगर लाखों से हूँ सिवा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तिरा इक ही क़तरा धो देगा सारा

    हर इक सफ़्हा-ए-पुर-ख़ता ग़ौस-ए-आज़म

    तू बेकस का कस और बे-बस का बस है

    तवाँ ना-तवानों की या ग़ौस-ए-आज़म

    मिरी जान में जान आए जो आए

    मिरा जान-ए-'आलम मिरा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    मिरी जान क्या जान-ए-ईमाँ हो ताज़ा

    कि है मुही-ए-दीन-ए-ख़ुदा ग़ौस-ए-आ'ज़म

    मिरा सर तिरी कफ़्श-ए-पा पर तसद्दुक़

    वो पाके तो क़ाबिल है क्या ग़ौस-ए-आ'ज़म

    झलक रू-ए-अनवर की अपनी दिखा कर

    तू 'नूरी' को नूरी बना ग़ौस-ए-आ'ज़म

    स्रोत :
    • पुस्तक : Samaan-e-Bakhshish (पृष्ठ 83)

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए