दिखा दो मुझे अपना लिक़ा या पंजतन
रोचक तथ्य
منقبت درشان حضراتِ پنجتجن۔
दिखा दो मुझे अपना लिक़ा या पंजतन
लो ख़बर बहर-ए-ख़ुदा या पंजतन
चश्म-ए-गिर्यां दिल है बिरयाँ रोज़-ओ-शब
आप पर दिल है फ़िदा या पंजतन
बहर-ए-'इस्याँ में हूँ डूबा रात-दिन
दो किनारे पर लगा या पंजतन
न हूँ आ'बिद न हूँ ज़ाहिद पारसा
आप के दर का गदा या पंजतन
रोज़-ए-महशर की है हैबत दम-बदम
आप का है आसरा या पंजतन
हूँ मरीज़-ए-'इश्क़-ए-मुत्लक़ ना-तवाँ
हो 'अता मुझ को शिफ़ा या पंजतन
क्या करूँ किस से कहूँ जुज़ आप के
आप हो उ'क़्दा-कुशा या पंजतन
सीम-ओ-ज़र की कुछ नहीं हाजत मुझे
लो मुझे अपना बना या पंजतन
आरज़ू-ओ-इल्तिजा मेरी 'नियाज़'
शौक़ दिल में हो सदा या पंजतन
- पुस्तक : Kalam-e-Niyaz Urf Nala-e-Firaq (पृष्ठ 1)
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.