ये मंसब और ये दर्जा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
रोचक तथ्य
منقبت در شان محبوبِ الٰہی خواجہ نظام الدین اؤلیا (دہلی-بھارت)
ये मंसब और ये दर्जा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
है 'अर्श-ओ-फ़र्श पर चर्चा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
शह-ए-कौनैन के महबूब महबूब-ए-इलाही भी
ये सर का ताज ये रुत्बा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
जुनूबी या शुमाली सम्त हो मशरिक़ कि मग़रिब हो
हर इक जानिब मिला जल्वा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
रसूल-ए-पाक हैं शेर-ए-ख़ुदा हैं फ़ातिमा हसनैन
घराना कितना है ऊँचा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
हवादिस आते-आते लूट जाते हैं तो हैरत क्या
ज़बाँ पर नाम है किस का निज़ामुद्दीन चिश्ती का
हमारा जामा-ए-ईमाँ दरीदा हो नहीं सकता
है ताना बाना कुछ ऐसा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
हमें क्या हैं गुलों के कान में घुलती है शीरीनी
बहुत ही नाम है प्यारा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
फ़लक पर जगमगाता है जो ये महताब की सूरत
मुझे लगता है नक़्श-ए-पा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
हमारी ज़िंदगी का एक इक रुख़ हम पे रौशन है
है कितना साफ़ आईना निज़ामुद्दीन चिश्ती का
अगरचे दश्त-ए-हस्ती का सफ़र झुलसाने वाला था
सुकूँ देता रहा साया निज़ामुद्दीन चिश्ती का
हमें तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ देना निज़ामी बाग़ के बुलबुल
निकालें जिस घड़ी सदक़ा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
समाअ'त वाले सुनते हैं सर अपने अपने धुनते हैं
क़सीदा पढ़ती है दुनिया निज़ामुद्दीन चिश्ती का
यही दो नाम तो हैं नूर के होंटों का सरमाया
'आलाउद्दीन साबिर का निज़ामुद्दीन चिश्ती का
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